झारखंड में एरसोल प्रदूषण 5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
रांची : झारखंड में 2023 में, राज्य में एरसोल प्रदूषण 5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है और एयरोसोल प्रदूषण की द्दष्टि से राज्य ‘अत्यधिक असुरक्षित’ रेड ज़ोन में बना रहेगा। एक नया अध्ययन बताता है कि राज्य में बढ़ते एयरोसोल प्रदूषण से निपटने के लिए ताप विद्युत संयंत्रों के उत्सर्जन में कमी सबसे जरूरी है। एरोसोल की उच्च मात्रा में समुद्री नमक, धूल, ब्लैक और आर्गेनिक कार्बन जैसे प्रदूषकों के साथ-साथ पाटिर्कुलेट मैटर (पीएम 2.5 और पीएम 10) भी शामिल रहते हैं। सांस के साथ शरीर में प्रवेश करने से ये लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
एरसोल ऑप्टिकल डेप्थ (एओडी) वातावरण में मौजूद एरोसोल का मात्रात्मक अनुमान है और इसे पीएम 2.5 के परिमाण के बदले में इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में राज्य स्तरीय एरोसोल प्रदूषण का गहन अध्ययन (अ डीप इनसाइट इनटू स्टेट-लेवल एरोसोल पोल्यूशन इन इंडिया)’- बोस इंस्टीट्यूट, कोलकाता के शोधकर्ताओं डॉ. अभिजीत चटर्जी, एसोसिएट प्रोफेसर और उनके पीएचडी स्कॉलर मोनामी दत्ता ने तैयार किया है।
यह अध्ययन लंबे अवधि (2005-2019) के रुझान, विभिन्न स्रोतों और अलग-अलग भारतीय राज्यों के लिए भविष्य (2023) के अनुमान के साथ एरोसोल प्रदूषण का राष्ट्रीय परिद्दश्य प्रस्तुत करता है। झारखंड वर्तमान में रेड जोन में है जो 0.5 से अधिक एओडी वाला अत्यधिक असुरक्षित क्षेत्र है। सूबे में एरोसोल प्रदूषण में 5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है, जिससे 2023 में एओडी परिमाण इस असुरक्षित क्षेत्र में बढ़कर 0.6 से अधिक हो जाएगा। एओडी का परिमाण 0 से 1 की बीच आंका जाता है। अधिकतम द्दश्यता के साथ पूरी तरह साफ़ आकाश का संकेतक है जबकि 1 बहुत धुंधले वातावरण को इंगित करता है। 0.3 से कम एओडी परिमाण ग्रीन ज़ोन (सुरक्षित), 0.3 से 0.4 ब्लू ज़ोन (कम असुरक्षित), 0.4 से 0.5 ऑरेंज जोन (असुरक्षित) है जबकि 0.5 से अधिक रेड जोन (अत्यधिक असुरक्षित) के अंतर्गत आता है।
(जी.एन.एस)